''अभी मझे जरूरत थी तेरी''
पालने से उतर कर बस आंखें खोली ही थी मैने
गिर न जाऊं ठोकरों से इसीलिए तो हाथ थामा था तुमने
...हर तरफ नकली चेहरों की भीड़ थी , तुझे नजरें ढूंढतीं थीं मेरी
'मां' अकेला छोड़कर चली गई , अभी मुझे जरूरत थी तेरी
दो आंसू बस गिरते थे मेरे , आंचल तेरा भीग जाता था
नींद मुझे न आती थी तो तेरा चैन खो जाता था
तेरे चेहरे से दिन , गोद में तेरे रात होती थी मेरी
नींद आती नहीं अब मुझे मां अभी जरूरत थी मुझे तेरी
जी भरके चाहती थी तुझे देखना मैं अभी
पास तेरे इतना आऊं कि दूर कर न पाए कोई कभी
गुनाह कौन सा किया था पूछती है बिटिया तेरी
रूठकर तू मुझसे चली गई, अभी जरूरत थी मुझे तेरी
ईद और दिवाली सब मेरे लिए फीकी रहीं हैं
खुशियों के दिन भी आंखे मेरी नम रहीं हैं
खुश नहीं रह पाती हंसी बनावट रह गई है मेरी
दामन खाली है मेरा 'मां'अभी जरूरत थी मुझे तेरी
दीदी, मासी, चाची सभी काम सिखा रहे हैं मुझे
कब तक रहेगी यहां , जाना है घर दूसरे तुझे
कौन समझाए इनको मैं अभी बच्ची हूं तेरी
इनकी बातों से डर लगता है , 'मां' अभी जरूरत थी मुझे तेरी .
(यह कविता मैने अपनी 'मां' के जाने के बाद लिखि थी, कविता मैने अपनी बड़ी बहन को समर्पित किया है......सर्वेश )
bahut hin marmik dil bhar aaya ....god bless u :)
जवाब देंहटाएंA beautiful poetry by a beautiful heart....Mom is god's gift. May god bless you and ur family..very touching and emotional. beautifully written sir.
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